Friday 12 June 2015

मानवता ही हर धर्म की नींव है और अंगदान मानवता का एक रूप

व्यापक संदर्भ में, सभी धर्म एक आम चरित्र को बताते हैं और वो है मानवता । दान, चाहे किसी भी रूप में हो, हमारी प्राथमिकताओ या नैतिक मूल्यों के बारे में नहीं है, अपितु यह करुणा, साहस और भाईचारे का प्रचार करने, देने से जो परम आनंद और संतुष्टि मिलती हैं, उसके, एक बेहतर दुनिया का निर्माण करने और मानव जाति की मदद करने के बारे में है।

 लोग अंगदान के विषय में अज्ञात क्यों रहना चाहते  है, ये मुझे नहीं पता, लेकिन जहा तक मुझे लगता है, इसका एक बहूत बड़ा कारण डर है । क्या आप गलत कर रहे हैं? क्या आपका निर्णय सही  है? क्या होगा यदि आपका निर्णय गलत निकला और बाद में आप उसे सही नहीं कर सके? क्या आपका धर्म इसकी इजाज़त देता है?

 इतना सब सोचने के बजाय हमे यह सोचना चाहिए की शायद सही समय पर उठाया गया छोटा कदम भविष्य की बड़ी समस्याओं से बचा सकता है। हम यह दिखावा नहीं कर सकते की हम कुछ जानते नहीं थे। हमने सब कहावतो, पुराणो और दार्शनिकों में पढ़ा है, सुना है, हमारे पूर्वजो और समाज से सुना है की दान करना सही है, फिर भी कभी कभी हमें खुद जानने की आवश्यकता होती है। जानना सोचते रहने से बेहतर है, जागना सोने से बेहतर है और कुछ करने की हिम्मत करना, कुछ न करने से कहीं बेहतर है.

यहाँ मैं विभिन्न धर्मों में अंग दान या सामान्य रूप में दान के बारे में क्या मान्यताएं रखते है, ये साँझा  कर रही  हूँ: -

हिन्दू धर्म

हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद जीवन और पुनर्जन्म एक दृढ़ विश्वास है। जीवन, जन्म और आत्मा के पुनर्जन्म का निरंतर चक्र है तथा यह प्रक्रिया अनंत काल तक चलती रहती है, अतः भौतिक शरीर नगण्य है। इस कांसेप्ट को हिंदू धर्म में अंग दान और प्रत्यारोपण की अवधारणा पर सकारात्मक दृष्टिकोण के रूप में देखा जा सकता है।

जैन धर्म

जैन धर्म में, दया और दान को प्रमुख गुण माना जाता है। अंग दान व्यापक रूप से जैन समुदाय के नेताओं और भिक्षुओं द्वारा समर्थित किया गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार मुंबई में, नेत्र दान सहित सभी अंग दान (85-90%) जैन और गुजरातियों द्वारा किये जाते है. Gujarat में जैन धर्म के लोगो की आबादी ज्यादा होने की वजह से  नेत्र दान में  काफी सफलता मिली है.

बुद्ध धर्म

बौद्ध धर्म के अनुसार, दुसरो को नया जीवन देने की खातिर अपने शरीर का कोई अंग दान करना एक महान योग्यता है। भगवान बुद्ध ने भी एक खरगोश के रूप में अपने पिछले जन्म में आग में कूद कर एक भूखे ग्रामीण को पोषण देने के लिए खुद का बलिदान कर दिया था. दान करने का फैसला, बौद्ध धर्म के अनुसार, अंगदाता के द्वारा ही किया जाना है। यह स्पष्ट नहीं है की मस्तिष्क मृत्यु (brain death) बौद्ध धर्म के अनुसार मौत का एक रूप है या नहीं है, क्योंकि मरा हुआ व्यक्तिं स्वयं का निर्णय नहीं कर सकता है. लेकिन ऐसे केस में भी बोध धर्म अंगदान को एक नेक कार्य मानता है.

रोमन कैथोलिक चिकित्सक नैतिकता

कैथोलिक चिकित्सा नैतिकता में  Pope Pius XII ने कहा है की मृत्यु को चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा निर्धारित किया जाता है. चुकीं  "यह चर्च की क्षमता के भीतर नहीं आता" , इसलिए चर्च इस मुद्दे पर चिकित्सा समुदाय के दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए बाध्य है। हाल ही में, विज्ञान के बिशप अकादमी ने कैथोलिक सिद्धांत को सही ठहराया है।

इसलाम

अधिकतर इस्लामी धार्मिक नेताओं ने जीवन को बचाने के क्रम में अंगदान- जीवन के दौरान (बशर्त है की उससे दाता को कोई नुक्सान न हो) और मृत्युपरान्त, को स्वीकार किया हैं। हालांकि, अधिकांश धार्मिक नेता मस्तिष्क मृत्यु को मौत नहीं मानते क्योकि मौत की घोषणा के लिए एक पूर्व शर्त के रूप में दिल की धड़कन समेत जीवन के सभी लक्षण की समाप्ति अनिवार्य है, इसलिए इस्लाम में अंगदान की इजाज़त है.

जूदाईस्म

यहूदी चिकित्सा नैतिकता, अंगदान के लिए एक अद्वितीय दृष्टिकोण रखता है। यह किडनी प्रत्यारोपण,  आंशिक जिगर पालि (वयस्क / बाल) प्रत्यारोपण, ब्लड डोनेशन को प्रोत्साहित करता है, लेकिन इसमें दो बुनियादी शर्ते है- पहली ये की इससे दाता की जान का खतरा न हो और दूसरी इससे किसी और की जान बच रही हो.

उम्मीद है यह ज्ञान आपको अंगदान (जीवित या मरणोपरांत ) का फैसला करने में मदद करेगा. धन्यवाद
मानवता ही हर धर्म की नींव है और अंगदान मानवता का एक रूप.

Donate. Save lives.

2 comments:

  1. Saving a life by donating any organ or anything is a Nobel step towards fulfilment of your understanding about value of life gifted to you by God.

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  2. Saving a life by donating any organ or anything is a Nobel step towards fulfilment of your understanding about value of life gifted to you by God.

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